रमेश सिप्पी की फिल्म शोलय ने 15 अगस्त को 50 साल पूरे किए। इस फिल्म के तकनीकी कौशल और अद्वितीय पात्रों की प्रशंसा आज भी की जाती है। सिप्पी की दृष्टि ने न केवल भव्य दृश्यों को बल्कि व्यक्तिगत क्षणों को भी खूबसूरती से प्रस्तुत किया। सलिम-जावेद की पटकथा की पंक्तियाँ आज भी बातचीत में उद्धृत की जाती हैं।
शोलय के बाद का सफर
हालांकि, फिल्म निर्माता अतुल सबरवाल ने एक लेख में बताया कि शोलय एक विरोधाभास था - एक ऐसी ऊँचाई जिसे सिप्पी अपने बाद की फिल्मों में नहीं छू सके। शोलय के बाद सिप्पी की अगली फिल्म शान (1980) अपेक्षाकृत कमजोर साबित हुई। 1982 में, सिप्पी ने एक ऐसी फिल्म बनाई जो शोलय और शान के पैमाने को नजरअंदाज करती है।
शक्ति की कहानी
शक्ति एक ईमानदार पुलिस अधिकारी और उसके बागी बेटे की दिलचस्प कहानी है। इस फिल्म में दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। यह फिल्म सलिम-जावेद द्वारा लिखी गई थी और इसका आधार तमिल फिल्म थंगप्पठक्कम (1974) से लिया गया है।
कहानी में, विजय का अपहरण JK (अमरीश पुरी) और नारंग (कुलभूषण खरबंदा) द्वारा किया जाता है। विजय का पिता, अश्विनी कुमार (दिलीप कुमार), JK के एक आदमी को छोड़ने से इनकार कर देता है। विजय अपने अपहरणकर्ताओं से भाग निकलता है, लेकिन अपने पिता की कथित बेवफाई से आहत होता है।
विजय का संघर्ष
बड़ा होने पर, विजय का प्रतिशोध नारंग के साथ काम करने में है, जिससे अश्विनी दुखी होते हैं। विजय की माँ, शीटल (राखी), अपने बेटे और पति के बीच फंसी हुई हैं। विजय घर छोड़कर गायक रोमा (स्मिता पाटिल) के साथ रहने लगता है।
विजय और अश्विनी के बीच की टकराव में, संवाद और भावनात्मक गहराई में बच्चन अपने सह-कलाकार से आगे निकल जाते हैं। शक्ति में विजय एक अलग तरह का पात्र है, जो असुरक्षित और आत्मकेंद्रित है।
रोमा के साथ संबंध
विजय और रोमा की मुलाकात एक रात ट्रेन में होती है, जहाँ वह उसे गुंडों से बचाता है। विजय का आत्मविश्वास धीरे-धीरे गायब हो जाता है। रोमा उसे अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती है, लेकिन विजय संकोच करता है।
उनका संबंध एक खूबसूरत गीत जाने कैसे कब कहाँ में परिणत होता है। विजय की आंतरिक लड़ाई और परिवार के प्रति उसकी जिम्मेदारियाँ फिल्म का मुख्य आकर्षण हैं।
शक्ति का महत्व
शक्ति एक दुर्लभ फिल्म है जो बच्चन के 'एंग्री यंग मैन' चरण से अलग है। सिप्पी ने बच्चन को एक पात्र के रूप में प्रस्तुत किया है, न कि एक आर्केटाइप के रूप में। दिलीप कुमार ने अपने किरदार में गहराई से उतरते हुए कई भावनात्मक क्षणों को जीवंत किया है।
फिल्म की दृश्यात्मकता शोलय की तुलना में साधारण है, लेकिन इसमें परिवार के बीच के संघर्ष और व्यक्तिगत लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है।
निष्कर्ष
सिप्पी को अक्सर पूछा जाता था, "शोलय के बाद क्या?" शक्ति इसका उत्तर है।
You may also like
Realme C63 5G खरीदने का बेस्ट मौका, Super Value Week में मिल रहा है जबरदस्त ऑफर
ODI वर्ल्ड कप 2025 और ऑस्ट्रेलिया ODI सीरीज के लिए Team India की स्क्वाड का हुआ ऐलान, Shafali Verma को नहीं मिली जगह
शुगर कंट्रोल के साथ मीठा खाने के आसान तरीके
एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप : मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल में जीता कांस्य पदक
मोक्ष नगरी का अद्भुत कुंड, जहां भटकती आत्माओं को मिलती है मुक्ति, चुकाया जाता है ऋण